भूमि स्वामित्व की यात्रा
भूमि स्वामित्व की यात्रा

निर्णय और आवेदन

पिछले साल पार्थ ने चेन्नई में एक जमीन खरीदने का फैसला किया। एक लंबी खोज के बाद, आखिरकार उन्होंने एक संपत्ति पसंद करी और राहत की सांस ली। मगर, उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि असली काम अभी बाकी था।

सब-रजिस्ट्रार कार्यालय (एसआरओ) में आवेदन

कभी न खत्म होने वाले भूमि विवादों और अदालती मामलों की डरावनी कहानियां सुनने के बाद, पार्थ का पहला कदम यह सुनिश्चित करना था कि जो व्यक्ति उन्हें जमीन बेच रहा था, वही संपत्ति का वास्तविक मालिक था। इसलिए, उन्होंने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय (एसआरओ) में एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (ईसी) के लिए आवेदन किया. उन्हें कहा गया कि इसे अगले दिन ले लें। कागज मिलने में 4 दिन लगे परन्तु वह खुश थे कि जिस व्यक्ति के साथ वह काम कर रहे थे, वह (पंजीकरण विभाग के अनुसार) जमीन मालिक ही था और उस जमीन पर कोई बंधक लंबित नहीं था।।

मंडल राजस्व कार्यालय (एमआरओ) में जाँच

इसके बाद, उन्होंने राजस्व दस्तावेजों की जांच के लिए मंडल राजस्व कार्यालय (एमआरओ) का दौरा किया। अडंगल प्राप्त करने के बाद, उन्होंने पुष्टि की कि मालिक का नाम और संपत्ति क्षेत्र ईसी के समान ही थे। उन्होंने यह भी सत्यापित किया कि आज तक संपत्ति कर का भुगतान किया गया था और रसीदों पर नाम अदंगल और ईसी के समान था।

भूमि की ज़ोनिंग नियमों की जांच और योजना

पार्थ ने एक निजी सर्वेक्षक को यह पुष्टि करने के लिए नियुक्त किया कि विस्तार और माप दस्तावेजों से बिल्कुल मेल खाते हैं।उन्होंने भूमि के ज़ोनिंग नियमों की जाँच की क्योंकि उनकी योजना उस पर निर्माण करने की थी। उन्होंने यह भी जाना कि यदि वे वहां व्यावसायिक निर्माण करते हैं तो वे एक बड़े क्षेत्र का निर्माण करने में सक्षम होंगे क्योंकि उस क्षेत्र में सरकार व्यवसायों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही थी।

कानूनी राय और बिक्री समझौता

पार्थ का अंतिम कदम एक वकील से जमीन के बारे में कानूनी राय प्राप्त करना था। वकील ने भूमि और लिंक दस्तावेजों पर पिछले सभी पंजीकृत कार्यों को देखा, ईसी के साथ उनका मिलान किया और स्वामित्व के प्रवाह को समझा। उसके बाद उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रवाह अखंड था और ऐसा कोई संभावित विवाद नहीं था जो भविष्य में परेशानी का कारण बन सके। उन्होंने जमीन पर लंबित अदालती मामलों की भी जांच की। वकील ने उसे 15 दिनों में कानूनी राय दी, जिसमें कहा गया था कि भूमि का शीर्षक साफ और बिक्री योग्य था (एक साइड नोट के साथ कि यह केवल प्रदान किए गए दस्तावेजों पर आधारित था और अगर आकलन गलत निकले, तो वकील की खुद की कोई कानूनी देनदारी नहीं थी)।

एक बार जब पार्थ संतुष्ट हो गए कि भूमि का शीर्षक स्पष्ट था, तब उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि कीमत उचित थी। उन्होंने प्रचलित दरों का अनुमान लगाने के लिए क्षेत्र के कुछ रियल एस्टेट एजेंटों से बात की। उनके सुझाव पर, उन्होंने उचित सड़क पहुंच की जांच करने के लिए मालिक से भी बात की।

एक बार जब पार्थ और वर्तमान भूमि मालिक दोनों दर से संतुष्ट हो गए, तो उन्होंने वकील से एक बिक्री समझौता तैयार करवाया। समझौते के अनुसार, पार्थ को भूमि मूल्य का 10% अग्रिम के रूप में देना था। शेष भुगतान स्वामित्व में परिवर्तन के पंजीकरण से पहले होना था। बिक्री विलेख का पंजीकरण, भूमि का स्वामित्व पार्थ को हस्तांतरित करना भी इसी अवधि के भीतर पूरा करा जाना था। समझौते में भूमि का विवरण और स्वीकृत दर शामिल थी।


जमीन का पंजीकरण और म्यूटेशन

पार्थ के लिए अगला पड़ाव सरकार के पास जमीन की बिक्री पंजीकृत करवाना था, जिसकी शुरुआत स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क के भुगतान से हुई थी। उन्होंने उस पर लागू दर की जांच की और ई-स्टांप पेपर ऑनलाइन खरीदे। उन्होंने वकील से संपत्ति और संबंधित पार्टियों के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी सहित एक शीर्षक विलेख का मसौदा तैयार करवाया। इस पर उनके, वर्तमान भूमि मालिक और दो गवाहों के हस्ताक्षर होने थे। इसके बाद उन्होंने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में आईडी प्रूफ, संपत्ति के दस्तावेज और स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क के भुगतान के प्रमाण के साथ हस्ताक्षरित डीड जमा की। पंजीकरण पूरा होने के बाद पंजीकृत दस्तावेज को एसआर कार्यालय द्वारा स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड किया गया।

पंजीकरण पूरा हो जाने के बाद, पार्थ कानूनी तौर पर जमीन के मालिक बन गए। हालाँकि, उन्हें अभी भी म्यूटेशन के लिए आवेदन करना था। यह संपत्ति के लिए राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में शीर्षक स्वामित्व नाम को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि राजस्व दस्तावेज (जैसे अडंगल और पट्टा) और संपत्ति कर संबंधी दस्तावेज उसके नाम पर हों, जिससे संपत्ति पर उनका दावा मजबूत हो। यह प्रक्रिया मंडल राजस्व कार्यालय में पूरी की गई थी।

आधिकारिक आवश्यकताऐं पूरी होने पर, उन्होंने अपने नाम का एक बोर्ड बनवा कर जमीन पर लगाया और जमीन की रक्षा के लिए, किसी अतिक्रमण के खिलाफ, एक मजबूत गेट के साथ चारों ओर कांटेदार तार की बाड़ लगाई।  

2 महीने से अधिक समय के बाद, पार्थ भूमि लेनदेन की जटिल प्रणाली से सफलतापूर्वक खत्म करने के लिए खुश थे, लेकिन वह आश्चर्यचकित थे कि क्या कोई तेज़ और आसान तरीका था।

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